कुछ स्वाल कुछ बातें - आग


आग 


जलना है तो जलो जी भर , 
मै रहूँगी साथ , 
रूप अनेक , नाम  एक - आग 
किन्तु सर्व प्रथम करो निर्णय , 
तप कर बनोगे स्वर्ण मुद्रा या मात्र  राख। 



कर्तव्यपथ ढँक सा गया हो  ,
विपदा , विवशता , चुनौतियां हज़ार, 
बन कर धूमकेतु , गंतव्य  दिखलाऊँ, 
चल सकोगे ?
बिना हारे , बिना थके , लिए उम्मीदों का भार। 
 
तमक  बन  जल जाऊँ  दो प्रेमियों के ह्रदय में , कहलाऊ  अनुराग,
प्रकाश  वही, ताप  वही किन्तु नयी अनुभूति। 
उलझने , विरोध , कलय , क्रोध ,
आग का दरिया , लांघ सकोगे ?
साथ रहोगे  सदैव तो बनू  प्रेम की साक्षी। 


रूप एक वो भी है  मेरा , 
जो भस्म कर दे घर संसार,
लपटों से लिपटी कराहती  बेटी, बेगुनाह माँ, 
कभी अग्निपरीक्षा, कहीं  अपराध  ,
मूक रहोगे निर्लज्ज  अभी भी ?





जला सकोगे तो आगे बढ़ो , 
कभी न बुझने वाली , देश प्रेम की पावन ज्वाला, 
पिंजर तक बलिदान करोगे युद्ध  में ,
मात्ृ  भूमि सर्वोपरि , ये प्रतिज्ञा पढ़ो। 


मैं हूँ अग्नि , ज्योति  और हूँ मैं ही अहंकार ,
मैं हूँ आवेग , प्रकाश   और हूँ मैं ही अंतिम संस्कार।






Comments

  1. Beautiful poem. Good lyrics and expression. Keep writing

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    1. Means a lot. Thanks a bunch.

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    2. Beautiful! Good Luck Avi.May your dreams come true!!!

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    3. Bahut khoobsurat abhivyakti ...aapke vyaktitva ke iss kadi se pehli baar saakshatkaar hua...bahut aanand aaya...bahut bahut shubkaamnaayen aapko....agli rachana ka intezaar rahega...

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    4. Mrs Pal...cant thank u enough. Grateful !!

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