शिकायत नहीं है मुझे ,
न ही दस्तूर बदलने की हिम्मत ,
अस्थिर नही हूँ , अधीर नहीं ,
अवसाद शायद ,
उदास शायद ,
कहना है बस ,
आसान नहीं ,
यूं अकेले रहना।
दीवार पर टंगी बेटी की बनाई,
हैप्पी फैमिली की पेन्टिंग,
अलमारी में लटकी तुम्हारी साड़ियां ,
अलमारी में लटकी तुम्हारी साड़ियां ,
कुछ बंद मैगी के पैकेट ,
कुछ खुले बिस्कुट ,
बेटे का क्रिकेट का बल्ला,
कह गया था रख लो ,
अगली छुट्टियों में फिर जो खेलना है।
अगली छुट्टियों में फिर जो खेलना है।
तुम्हारी लगाई गेंदे की क्यारी सुनहरी हो चली ,
तुल्सी भी हो गयी हरी पूरी ,
कमरा खाली ,दिल भरा भरा सा ,
आसान है क्या ,
यूं अकेले रहना ?
टेक्नोलॉजी के साधन अनेक है ,
नहीं प्रतिस्थापित कुछ भी कर पाया ,
तुम्हारा साथ।
चाहता हूँ लौट जाना घर,
बच्चों को देखूं पढ़ते बढ़ते ,
माँ का बनू सहारा , दूँ तुम्हे तुम्हारे हिस्से का प्यार ,
किस से जा कर कहूँ मन का कौतूहल ,
संगी साथी, भाई बहन व्यस्त है,
उनके हैं अपने अपने कारोबार, परिवार।
चाहता हूँ लौट जाना घर,
बच्चों को देखूं पढ़ते बढ़ते ,
माँ का बनू सहारा , दूँ तुम्हे तुम्हारे हिस्से का प्यार ,
किस से जा कर कहूँ मन का कौतूहल ,
संगी साथी, भाई बहन व्यस्त है,
उनके हैं अपने अपने कारोबार, परिवार।
आसान नही है,
यूं अकेले रहना।
यूं अकेले रहना।
"वह " कहते है किस्मत अच्छी है मेरी ,
जो देश भर में घूमता हूँ ,
पहली को सेलरी क्रेडिट हो जाती है ,
पहली को सेलरी क्रेडिट हो जाती है ,
सुविधाएं हैं ।
नादाँ है या फिर बेफिक्र ,
नहीं जानते ,
मौत खेलने आती है दबे पैर रोज़ यहाँ।
बर्फ , बारूद , बारिश , पत्थर , अकेलापन ,
क्या कुछ सहना पड़ता है ,
आसान नहीं है
यूं रहना ।