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Poem - Phoenix

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Phoenix   They said I had it all. I woke up on a bed of roses, without a worry in the world, as destiny smiled on me daily. Unaccountable wads of cash stuffed in my handbag, I roamed around the world. But there I was, lying on driftwood, floating far away from home, losing sight of my goals. They said I had it all. The heir, the progeny, and the lucky one— no one to ask, no one to tell. for some, I was a good catch; for the rest, I was an easy prey. And there I was, looking at the noose, taking it all in. Lonely, fearful, and abandoned while they devoured the cupcakes. They said I had it all. The spark found me, and now I am reunited with my soul— silencing the aching heart, shutting down the voices in my head. I will fly through the roof, reach for the stars, And have It all! I say I will have it all. Why not... !!

कुछ स्वाल कुछ बातें - आग

आग  जलना है तो जलो जी भर ,  मै रहूँगी साथ ,  रूप अनेक , नाम  एक - आग  किन्तु सर्व प्रथम करो निर्णय ,  तप कर बनोगे स्वर्ण मुद्रा या मात्र  राख।  कर्तव्यपथ ढँक सा गया हो  , विपदा , विवशता , चुनौतियां हज़ार,  बन कर धूमकेतु ,  गंतव्य  दिखलाऊँ,  चल सकोगे ? बिना हारे , बिना थके , लिए उम्मीदों का भार।    तमक  बन  जल जाऊँ   दो प्रेमियों के ह्रदय में , कहलाऊ  अनुराग, प्रकाश  वही, ताप  वही किन्तु नयी अनुभूति ।  उलझने , विरोध , कलय , क्रोध , आग का दरिया , लांघ सकोगे ? साथ रहोगे  सदैव तो बनू  प्रेम की साक्षी।  रूप एक वो भी है  मेरा ,  जो भस्म कर दे घर संसार, लपटों से लिपटी कराहती  बेटी, बेगुनाह माँ,  कभी अग्निपरीक्षा, कहीं  अपराध  , मूक रहोगे निर्लज्ज   अभी भी ? जला सकोगे तो आगे बढ़ो ,   कभी न बुझने वाली ,  देश प्रेम की पावन ज्वाला,  पिंजर तक बलिदान करोगे युद्ध  में , मात्ृ  भूमि सर्वोपरि , ये प्रति...

संगदिल!!

संगदिल  श्रीमती प्रभा दीक्षित को  National level Online writing competition में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ, 10 ,000 रुपये नकद , एक certificate और एक बहुत सुंदर फूल बेला वाली कलमकारी साड़ी । 45  वर्ष की आयु में  प्रभा के लिए ये बेहतरीन अनुभव था। घर गृहस्ती , परिवार की जिम्मेदारियों,  सामाजिक दायित्वों के चलते लेखन में अत्यंत रुचि रखने वाली प्रभा कभी समय नहीं निकाल पायी। पति और दोनों बच्चों के प्रोत्साहन का परिणाम था ये पुरस्कार। प्रभा गौरवांवित मेहसूस कर रही थी ! हमेशा सुनते आए है खुशियां बांटने से बढ़ती है और दुख सांझा करने से कम।  प्रभा ने पुरुस्काकर के साथ एक selfie खींचकर अपने सभी WhatsApp groups में भेज दी।  साथ में लिखा कि  समारोह online था,  Gmeet का link केवल participants और organising committee के लिए ही मान्य था इस लिए किसी को आमंत्रित नहीं कर पायी ।  .  हां !  वो जानती थी कि link share करके भी सभी अनुपस्थित ही होते क्योंकि समय जिनके  पास है  उन्हें Technology की समझ नहीं और जिन्हें है उन्हें दिलचस्पी नहीं।...