कुछ स्वाल कुछ बातें - आग
आग जलना है तो जलो जी भर , मै रहूँगी साथ , रूप अनेक , नाम एक - आग किन्तु सर्व प्रथम करो निर्णय , तप कर बनोगे स्वर्ण मुद्रा या मात्र राख। कर्तव्यपथ ढँक सा गया हो , विपदा , विवशता , चुनौतियां हज़ार, बन कर धूमकेतु , गंतव्य दिखलाऊँ, चल सकोगे ? बिना हारे , बिना थके , लिए उम्मीदों का भार। तमक बन जल जाऊँ दो प्रेमियों के ह्रदय में , कहलाऊ अनुराग, प्रकाश वही, ताप वही किन्तु नयी अनुभूति । उलझने , विरोध , कलय , क्रोध , आग का दरिया , लांघ सकोगे ? साथ रहोगे सदैव तो बनू प्रेम की साक्षी। रूप एक वो भी है मेरा , जो भस्म कर दे घर संसार, लपटों से लिपटी कराहती बेटी, बेगुनाह माँ, कभी अग्निपरीक्षा, कहीं अपराध , मूक रहोगे निर्लज्ज अभी भी ? जला सकोगे तो आगे बढ़ो , कभी न बुझने वाली , देश प्रेम की पावन ज्वाला, पिंजर तक बलिदान करोगे युद्ध में , मात्ृ भूमि सर्वोपरि , ये प्रति...