कुछ स्वाल कुछ बातें - ताज
ताज कल भी आज भी ताज जिसे मैंने कई साल पहले देखा था। पिताजी की केन्द्रीय सरकार की नौकरी का सबसे बड़ा फैयादा l t c था जिसके रहते साल दो साल में यहां वहां घूमना हो जाया करता था। उस साल पिताजी हमें दिल्ली , जयपुर आगरा का golden triangle घूमाने ले गए थे। सर्दी की सुबह थी , धुंध थी चारों ओर! मशहूर "lady diana " संगमरर स्टूल पे बैठे तस्वीरें खींचना जोर शोर से जारी था। कभी भाई ,कभी पिताजी फुर्ती से 'खचाक खचाक ' तस्वीरें खींच रहे थे। मैं चुपचाप था। शायद वो चारबाग़ ,मुग़ल बाग़ ,फुहारे, रंग बिरंगे फूल , आस पास के लाल बलुआ पत्थर के मकबरे,शाही द्वार मेरे युवा मन को लुभाने में असफल थे। फिर कुछ ऐसा घटा मानो पर्दा छटता हो जैसे । मद्धम मद्धम सूरज की कुछ सुनहरी किरणे ताज पे पड़ी और पूरा नज़ारा बदल गया। वो जिसकी तस्वीर सिर्फ किताबों में देखी थी जिसके बारे में केवल सुना था मेरे सामने ,बिल्कुल सामने था । अद्भुत , आलो...