Posts

Showing posts from August, 2025

" सफ़ेद गुलाब "

Image
शहर की पुरानी तंग गलियों में बशीर मलिक की फूलों की दुकान सबसे मशहूर थी। शादियों, जलसों या किसी भी बड़े कार्यक्रम में फूलों की सजावट का नाम आता, तो लोग जानते थे—"ये काम बशीर मलिक के सिवा कोई नहीं कर सकता।" लाखों का कारोबार, बड़े-बड़े सेठों के ऑर्डर, और दिन-रात ग्राहकों की भीड़ .  लेकिन उस भीड़ में एक चेहरा था, जो अलग था—डॉ. सत्यानंद दहिया। करीब 6 ० -6 5  साल के, शांत और आंखों में किसी गहरी कहानी की परछाई। वो हर सोमवार, लगभग एक ही समय पर आते—सिर्फ़ सफ़ेद गुलाब का एक छोटा-सा गुच्छा लेने। उस दिन बारिश ज़ोरों से हो रही थी। दुकान का shutter आधा बंद था , और शब्बीर—बशीर का बेटा— काउंटर पे बैठा था  और खिड़की से बाहर झांकते हुए बोला, "Seriously? इतनी बारिश में भी आ रहे हैं?" डॉ. दहिया दुकान के दरवाज़े तक पहुँचे भी नहीं थे कि शब्बीर ने कह दिया , "White roses are unavailable, uncle ।" बशीर ने झटके से मुड़कर बेटे को घूरा, "अरे… डॉ. साब, अंदर आइए। ज़रा थोड़ा संभल  के ?" डॉ. दहिया बिना कुछ कहे, उम्मीद भरी नज़रों से दुकान के कोनों में सफ़ेद गुलाब ढूंढने लगे। ब...